Rent Agreement Rules: आज के समय में रेंट एग्रीमेंट एक अनिवार्य दस्तावेज बन चुका है। बिना इस दस्तावेज के न तो मकान मालिक आसानी से किरायेदार को घर देता है और न ही कोई किरायेदार बिना उचित कानूनी सहमति के मकान लेना पसंद करता है।
यह एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों की रक्षा करता है लेकिन कई बार इसे बनवाते समय अनजाने में गलतियां हो जाती हैं जिससे भविष्य में विवाद की स्थिति बन सकती है। इसलिए रेंट एग्रीमेंट तैयार करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
क्यों जरूरी है रेंट एग्रीमेंट?
महानगरों और बड़े शहरों में किराए पर मकान लेने के लिए मकान मालिक आमतौर पर रेंट एग्रीमेंट की शर्त रखते हैं। यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किराए की राशि, भुगतान की तारीख, किराए की अवधि, सुरक्षा राशि, मकान उपयोग की शर्तें और अन्य आवश्यक जानकारियां दर्ज होती हैं। इससे न सिर्फ दोनों पक्षों की सहमति तय होती है बल्कि किसी भी विवाद की स्थिति में यह एक प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
आइये जान लेते है रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना है।
किराए की राशि और अन्य शुल्क को ठीक से जांचें
रेंट एग्रीमेंट साइन करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि मासिक किराया वही है जिस पर आप और मकान मालिक सहमत हुए थे। इसके अलावा आपको यह भी देखना होगा कि क्या मेंटेनेंस चार्ज, सोसाइटी शुल्क और अन्य सुविधाओं का भुगतान किराए में शामिल है या अलग से देना होगा।
अगर घर में पहले से कोई फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान या अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं तो उनका भी एग्रीमेंट में उल्लेख होना चाहिए ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।
किराए में बढ़ोतरी और एग्रीमेंट की अवधि
यह जानना जरूरी है कि एग्रीमेंट कितने समय के लिए है और क्या मकान मालिक सालाना किराया बढ़ाने का नियम लागू करेगा। अगर एग्रीमेंट लंबी अवधि के लिए है तो इसमें स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि हर साल किराए में कितनी प्रतिशत वृद्धि होगी।
आमतौर पर यह 5% से 10% तक होती है लेकिन इसे पहले ही तय कर लेना सही रहेगा। इससे आपको भविष्य में किसी अनचाही किराया वृद्धि से बचने में मदद मिलेगी।
नोटिस या लॉक इन टाइम पीरियड
कई बार किरायेदारों या मकान मालिकों को निजी कारणों से तय समय से पहले एग्रीमेंट खत्म करना पड़ता है। इस स्थिति में रेंट एग्रीमेंट में नोटिस पीरियड और लॉक-इन पीरियड जैसी शर्तों का जिक्र होना चाहिए।
आमतौर पर मकान खाली करने से पहले एक महीने का नोटिस देना जरूरी होता है लेकिन कुछ मामलों में यह अवधि दो या तीन महीने भी हो सकती है। लॉक-इन पीरियड का मतलब है कि किरायेदार को कम से कम कितने महीने या साल तक मकान में रहना जरूरी होगा वरना उसे पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
मकान मालिक की शर्तों को समझें
कई मकान मालिक किरायेदारों पर अलग-अलग शर्तें लागू करते हैं। उदाहरण के लिए कुछ मकान मालिक पालतू जानवर रखने की अनुमति नहीं देते या सोसाइटी पार्किंग में किरायेदारों के वाहनों को पार्क करने से मना करते हैं।
इसके अलावा कुछ मकान मालिक किराए पर रहने वाले लोगों को व्यावसायिक गतिविधियां चलाने की इजाजत भी नहीं देते। कुछ मामलों में तो पासपोर्ट बनवाने के लिए भी मकान मालिक की अनुमति की जरूरत होती है। अगर कोई शर्त आपको अनुचित लगे तो इसे स्पष्ट करने और संशोधन करने में कोई हिचकिचाहट न करें।
कानूनी सुरक्षा के लिए एग्रीमेंट रजिस्टर कराएं
रेंट एग्रीमेंट को सिर्फ एक कागजी प्रक्रिया मानकर अनदेखा करना गलत होगा। यदि संभव हो तो इसे कानूनी रूप से रजिस्टर्ड करवाएं। इससे मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकार सुरक्षित रहते हैं और किसी भी विवाद की स्थिति में यह दस्तावेज आपके लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
जरूरी सुचना
रेंट एग्रीमेंट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसे साइन करने से पहले ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। किसी भी नियम और शर्त पर अगर संदेह हो तो पहले मकान मालिक से स्पष्टता लें और जरूरत पड़े तो कानूनी सलाह लें। जल्दबाजी में साइन करने से बचें और यह सुनिश्चित करें कि आपकी सभी शर्तें एग्रीमेंट में लिखित रूप से दर्ज हों। इससे आप न सिर्फ खुद को कानूनी परेशानियों से बचा पाएंगे बल्कि किराए के घर में बिना किसी झंझट के रह सकेंगे।