जमशेदपुर : शनिवार की शाम जमशेदपुर के बागबेड़ा थाना क्षेत्र स्थित बड़ौदा घाट में एक हृदयविदारक हादसा हो गया. आरवीएस कॉलेज के तीन दोस्त नहाने के दौरान नदी में डूब गए. मछुआरों की सूझबूझ से एक युवक की जान बच गई, लेकिन उसके दो अन्य मित्र अब तक लापता हैं. अंधेरा होने की वजह से राहत कार्य देर शाम रोकना पड़ा. रविवार को विशेष गोताखोरों की मदद से तलाश जारी रहेगी. घटना शनिवार शाम की है जब बड़ौदा घाट निवासी पार्थो कुमार (27), शशांक और शुभम कुमार नदी पार नहाने गए थे. बताया जाता है कि तीनों युवक पहले नदी के उस पार गए और फिर वहीं शराब पी. इसके बाद नहाने के लिए जैसे ही नदी में उतरे, शुभम गहराई में चला गया और डूबने लगा. उसे बचाने शशांक भी नदी में कूद गया, लेकिन वह भी लहरों में बहने लगा. तीसरा युवक पार्थो भी दोनों को बचाने नदी में उतर गया. लेकिन वह खुद डूबने लगा। संयोग से घाट पर मौजूद मछुआरों की नजर उस पर पड़ी. उन्होंने तुरंत बांस और अन्य स्थानीय संसाधनों से पार्थो को बाहर खींच लिया.

उसकी हालत गंभीर देख उसे तत्काल जुगसलाई स्थित राजस्थान सेवा सदन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है. शुभम कुमार की पहचान उसके बैग में रखे कपड़ों के जरिए उसके रिश्तेदारों ने की, जो घटना की सूचना मिलते ही मानगो से घटनास्थल पहुंचे. शुभम पलामू का रहने वाला था और वर्तमान में मानगो में अपने रिश्तेदार के यहां रह रहा था. वहीं शशांक मूल रूप से कदमा का रहने वाला बताया जा रहा है. तीनों युवक आरवीएस कॉलेज, जमशेदपुर में अध्ययनरत थे. स्थानीय सूत्रों के अनुसार शुभम और शशांक पार्थो से मिलने उसके घर बड़ौदा घाट आए थे. तीनों के पास बैग और अन्य सामान था, जिससे संकेत मिलता है कि वे साथ घूमने की योजना बनाकर निकले थे.
घटना की जानकारी मिलते ही बागबेड़ा थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने नदी के आसपास खोजबीन शुरू कराई, लेकिन अंधेरा होने की वजह से तलाश अभियान में सफलता नहीं मिल सकी. स्थानीय विधायक प्रतिनिधि, भाजपा कार्यकर्ता और जिला परिषद सदस्य कविता परमार भी घटनास्थल पहुंचीं. उन्होंने अधिकारियों से बात कर टाटा स्टील की रेस्क्यू टीम और गोताखोरों की मदद से लापता युवकों को खोजने की व्यवस्था की पहल की. घटना के बाद बड़ौदा घाट पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. स्थानीय लोगों में शोक के साथ-साथ नाराजगी भी देखी गई कि घाट क्षेत्र में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, न ही कोई चेतावनी बोर्ड या बैरिकेडिंग की गई है. स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि गर्मी के दिनों में इस तरह के हादसों से बचाव के लिए बड़ौदा घाट जैसे संवेदनशील इलाकों में निगरानी तंत्र और सुरक्षा उपाय किए जाएं.