नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा कि मेडिकल कॉलेज को फर्जी फैकल्टी और नकली छात्रों के सहारे मान्यता दिलाने का खेल चल रहा था। इस पूरी साजिश को स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, निजी मेडिकल कॉलेज और दलालों का नेटवर्क अंजाम देता था। सीबीआई ने बताया कि नेवटर्क के सदस्य मेडिकल कॉलेज को मान्यता के लिए होने वाले निरीक्षण से पहले ही इसकी जानकारी दे देते थे।
इसके बाद मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण के दौरान फर्जी फैकल्टी, मेडिकल के नकली छात्रों को खड़ा कर दिया जाता था। कॉलेज का मूल्यांकनकर्ताओं के नाम भी बता दिए जाते थे, जिससे निरीक्षण से पहले ही उन्हें घूसकर कॉलेज के पक्ष में रिपोर्ट देने के लिए तैयार कर लिया जाता था।
जानें कौन-कौन हैं आरोपी
मयूर रावल, रजिस्ट्रार, गीतांजलि विश्वविद्यालय उदयपुर-राजस्थान, आर रणदीप नायर, परियोजना प्रमुख, मेसर्स टेकन्फी सॉल्यूशन्स प्रा. लि. नई दिल्ली, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, रायपुर-छत्तीसगढ़, रवि शंकर महाराज, अध्यक्ष, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, रायपुर-छत्तीसगढ़, अतुल कुमार तिवारी, निदेशक, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, नवा रायपुर-छत्तीसगढ़, डीपी सिंह, कुलाधिपति, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज।
मुंबई रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट के डॉ. अतिन कुंडू, लक्ष्मीनारायण चंद्राकर, अकाउंटेंट व संजय शुक्ला, डॉ. मंजप्पा सीएन, प्रोफेसर एवं हड्डी रोग विभागाध्यक्ष, मांड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, मांड्या-कर्नाटक, डॉ. सतीश, बंगलूरू, एनएमसी की निरीक्षण टीम की सदस्य डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. पी. रजनी रेड्डी व डॉ. अशोक शेल्के, डॉ. बी हरि प्रसाद, अनंतपुर-आंध्रप्रदेश, डॉ. ए रामबाबू, श्रीनगर कॉलोनी, हैदराबाद-तेलंगाना, डॉ. कृष्ण किशोर ललिता नगर, विशाखापत्तनम-आंध्र प्रदेश, श्रीवेंकट-निदेशक, गायत्री मेडिकल कॉलेज, विशाखापत्तनम, जोसफ कोमारेड्डी, फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वारंगल, शिवानी अग्रवाल, सहायक प्रबंध निदेशक, एनसीआर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, मेरठ, स्वामी भक्तवत्सल दास, स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, कलोल, गांधीनगर-गुजरात समेत अन्य अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारी एवं कर्मचारी।