नैनीताल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को अपने तीन दिवसीय नैनीताल प्रवास के अंतिम दिन नगर के ऐतिहासिक एवं प्रतिष्ठित शेरवुड कॉलेज के 156वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए युवाओं से राष्ट्र, समाज और मानवता के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य को केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि उसे व्यापक बनाकर समाज और देश के लिए समर्पित करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को स्मरण कराया कि इतिहास केवल उन्हें याद रखता है जिन्होंने दूसरों के लिए जीवन जिया हो।
उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक गहराई 5000 वर्षों की है और उसे बिना शर्त पूर्ण राष्ट्रवाद की आवश्यकता है। शिक्षा को लोकतंत्र की रीढ़ बताते हुए उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल विशेषाधिकार नहीं, एक समतुल्य साधन है जो समाज में समानता स्थापित करता है। अभिभावकों से उन्होंने अपील की कि वे बच्चों पर करियर तय करने का दबाव न डालें और उन्हें स्वयं अपनी राह चुनने दें, ताकि वे केवल सत्ता या पैसे की ओर न भागें। उपराष्ट्रपति ने भारत को अब संभावनाओं वाला नहीं, बल्कि संभावनाओं को साकार करने वाला राष्ट्र बताया। उन्होंने बीते दशक को भारत के लिए आर्थिक प्रगति, वैश्विक स्तर पर पहचान और अधोसंरचना विकास का दशक बताया।
उन्होंने कहा कि भारत अब सबसे तेज गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन चुका है। पूर्व छात्रों की विरासत की चर्चा करते हुए उन्होंने शेरवुड कॉलेज के पूर्व छात्रों-मेजर सोमनाथ शर्मा और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ सहित अनेक विभूतियों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि शेरवुड कॉलेज केवल एक संस्थान नहीं, एक परंपरा है और विद्यार्थियों को इस परंपरा का उत्तरदायित्व समझते हुए नए मानक स्थापित करने होंगे।
युवाओं की भूमिका पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास एक विशेष जनसांख्यिकीय लाभांश है, जहां 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलती दुनिया में हमें परिवर्तन का अनुसरण नहीं, बल्कि आवश्यकता के अनुसार स्वयं परिवर्तन गढ़ना है।