योगासन के फायदे, प्रभाव, और ध्यान देने योग्य बातें
योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करता है। वैसे तो संपूर्ण योगशास्त्र ही शरीर, मन और भावनाओं के विकास करने के साधनों से परिपूर्ण है, परन्तु सरलतम एवं सहज रूप से हम जहाँ से शरीर, मन एवं भावनाओं को सही दिशा देने का प्रयास करते है, वह है आसन। आसन का अर्थ है शरीर की आरामपूर्वक स्थिति। इनका अभ्यास स्वस्थ, अस्वस्थ, युवा, वृद्ध, सभी कर सकते हैं। आइये यहाँ पर हम जाने योगासन करने के फायदे, प्रभाव एवं अन्य ध्यान देने योग्य बातें।
योगासन और व्यायाम में अंतर
साधारणतः लोग आसन का अर्थ शारीरिक व्यायाम से लगाते हैं, लेकिन वास्तविक रूप से ये शारीरिक व्यायाम से थोड़ा अलग हैं। हठयोग के अनुसार आसन शरीर की विशेष स्थिति है, जिसमें प्राण ऊर्जा का निर्बाध प्रवाह होता है और चक्र जाग्रत होते हैं। यह सत्य है कि आसन का प्रभाव शरीर पर पड़ता है, परन्तु इसके साथ-साथ यह मुख्य रूप से शरीर, मन और भावना, इन तीनों का विकास एक साथ करता है।अगर आसन मात्र शारीरिक व्यायाम होते तो उसमें सजगता की उतनी आवश्यकता नहीं रहती। आसनों का अभ्यास करते समय सजगता को क्रिया के साथ जोड़ने पर विशेष जोर दिया जाता है। शरीर में जो क्रिया हो रही है उसके प्रति पूर्ण सजग बनने के लिए आँखों को बन्द रखना हमेशा सहायक होता है। आसनों का अभ्यास एक मशीन के जैसे नहीं करना चाहिए, बल्कि अगर हाथ हिलता है तो उसके प्रति सजग होना और अपने मन में भी उस क्रिया को सम्पादित होते हुए देखना होता है। और इस बात की जानकारी कि मुझे पता है।
साथ ही साथ आपको अपनी श्वास को भी उस संचालन विशेष से जोड़ देना होता है। तभी आप इनके लाभों को आत्मसात् कर पायेंगे। आसन करते समय श्वास का एक सामान्य नियम है – जब शरीर के किसी अंग का संकुचन होता है तब श्वास बाहर छोड़ी जाती है और जब किसी अंग का प्रसारण होता है, तब श्वास अन्दर ली जाती है। दूसरा जब भी हम गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत जाएँ तब श्वास भरें और उसके साथ आयें तो श्वास छोडें।
योगासन के फायदे और प्राणो का प्रवाह
आसनों के अभ्यास से शरीर पर जो नियंत्रण प्राप्त होता है वह मन पर नियंत्रण स्थापित करने में भी सहायक होता है। आसनों से स्थिरता का विकास होता है, प्राण का निर्बाध प्रवाह होता है और रोग उत्पन्न होने की संभावना कम हो जाती है। जैसे रुके हुए जल में अनेक प्रकार के बैक्टीरिया जन्म लेने लगते हैं, वैसे ही जब प्राण का प्रवाह शरीर में कहीं पर भी अवरुद्ध हो जाता है तो बैक्टीरिया के पैदा होने के लिए अनुकूल परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, प्राणों का प्रवाह सतत् प्रवाहित जल के समान होना चाहिए। शरीर में जो कड़ापन होता है वह प्राणों के अवरुद्ध होने और विषाक्त तत्त्वों के जमाव के कारण होता है। जब प्राणों का स्वतंत्र प्रवाह होने लगता है तो शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और तब आप आराम से आगे-पीछे झुक सकते हैं यानि कि आपका शरीर लचीला होता है।
योगासन के अन्य फायदे (Benefits of Asanas)
आज योगासन को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए उचित साधन माना जा रहा है। मांसपेशियों में साधारण खिंचाव, आंतरिक अंगों की मालिश एवं सम्पूर्ण स्नायुओं में सुव्यवस्था आने से अभ्यासी के स्वास्थ्य में अद्भुत सुधार होता है। असाध्य रोगों में लाभ एवं उनका पूर्णरूपेण निराकरण भी योगाभ्यासों द्वारा किया जा सकता है। आसनों के अभ्यास से शरीर रोग मुक्त हो जाता है। यह जोड़ों को लचीला बनाता है, स्नायुओं का विस्तार करता है एवं विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। आसन से शरीर के विभिन्न अंगों की मालिश होती है जिससे आन्तरिक अवयवों को शक्ति मिलती है; जैसे- हृदय, फेफड़े, आमाशय, रक्तवाहिनियाँ आदि। इन सबसे शरीर के अन्दर फुर्ति और प्रसन्नता बनी रहती है तथा थकान नहीं आती, जिसके फलस्वरूप उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यह भी देखा गया है कि है मानसिक एवं शारीरिक तनाव तथा असन्तुलन कई बड़ी बीमारियों का कारण होता है। आसन व्यक्ति को मानसिक स्थिति बदलने में बहुत सहयोग देते हैं और ऐसी बीमारियों से हमें दूर रखने में सहायक होते हैं।
आसनों का प्रभाव
सर्वप्रथम आसनों के अभ्यास का अन्तःस्रावी प्रणाली पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह प्रणाली हमारे जीवन को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमारे शरीर में अनगिनत आवश्यक कार्यों का संचालन करती है। यह हमारी शारीरिक बनावट, भावनात्मक अभिव्यक्ति एवं जीवन के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करती है। जिस व्यक्ति की अन्तःस्रावी प्रणाली सबल होती है वह जीवन के प्रति आशावान होता है, उसके विचार स्पष्ट होते हैं। जिस व्यक