सियोल। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ के अपने आदेश का बचाव करते हुए कहा कि वे अंत तक लड़ेंगे। यून ने गुरुवार को टेलीविजन संबोधन में कहा कि उनका प्रयास लोकतंत्र का पतन रोकने और विपक्ष की संसदीय तानाशाही का मुकाबला करने के लिए एक कानूनी फैसला था। उन्होंने पद नहीं छोड़ने का संकेत देते हुए कहा कि वे अंत तक लड़ेंगे, चाहे उनके खिलाफ जांच हो या महाभियोग लाया जाए। उन्होंने कहा कि उनका मार्शल लॉ लागू करने का फैसला लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए था। योल का दावा है कि व्यवस्था को पंगु और संविधान को खतरे में डाल दिया गया। इसी वजह से मार्शल लॉ जैसा कदम उठाना पड़ा। उनका आदेश शासन का एक ऐसा कार्य था, जिसकी जांच नहीं की जा सकती और यह विद्रोह के बराबर नहीं है।
योल का बयान विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नए महाभियोग प्रस्ताव पेश किए जाने के कुछ घंटे पहले आया है। विपक्षी पार्टी नए महाभियोग प्रस्ताव को शनिवार को सदन में मतदान के लिए रखने की योजना बना रही है। इससे पहले योल के खिलाफ महाभियोग लगाने का पहला प्रयास पिछले शनिवार को विफल हो गया था क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने नेशनल असेंबली में मतदान का बहिष्कार किया।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह मंगलवार और बुधवार के मध्य यून सुक-योल ने देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था। हालांकि, मार्शल लॉ सिर्फ छह घंटों तक ही लागू रहा, क्योंकि नेशनल असेंबली (संसद) में मतदान कराया गया और राष्ट्रपति के आदेश को पलट दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद विपक्षी दलों के साथ-साथ योल आम जनता का कड़ा विरोध झेल रहे हैं। उनके खिलाफ जांच चल रही है। पुलिस ने बुधवार को राष्ट्रपति कार्यालय और पुलिस मुख्यालय में भी इसी सिलसिले में रेड मारी थी।