गौरतलब है कि भाजपा के संगठन पर्व में सक्रिय सदस्यता का काम भी पिछले तीन सप्ताह से जारी है। प्राथमिक सदस्यता के बाद पार्टी ने सक्रिय सदस्यता का अभियान प्रारंभ किया था, लेकिन इसमें भी कई क्षेत्रों में पीछे रहने के कारण सदस्यता संख्या पूरी नहीं हो सकी है। प्रदेश के ऐसे करीब 15 हजार बूथ है, जिनमें पार्टी को सक्रिय सदस्य बनाने में पसीना आ रहा है। भाजपा ने सक्रिय सदस्य बनाने के लिए सौ प्राथमिक सदस्य बनाने की शर्त रखी थी, जिसमें कई कार्यकर्ता सौ सदस्य बनाकर सक्रिय सदस्य बन गए, लेकिन प्रदेश के कुछ क्षेत्र ऐसे भी रहे जहां सक्रिय सदस्यता की संख्या काफी कम रही है। इसके पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं। उसमें कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े नेताओं के लिए प्राथमिक सदस्य बनाना है। इसके अलावा कई नेताओं द्वारा हजारों की संख्या में प्राथमिक सदस्य बनाने के बाद कार्यकर्ताओं के लिए सदस्य बनाने के लिए व्यक्ति ही नहीं मिले। दूसरी ओर प्रदेश के 15 हजार ऐसे बूथ जहां भाजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने विरोधीदल की अपेक्षा कम मत प्राप्त हुए एक तरह से इन बूथों पर भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा था।
दूसरी सूची का प्रकाशन 25 नवंबर को
अब सवाल यह उठ रहा है कि जिन बूथ पर पार्टी पहले से ही कमजोर है वहां सक्रिय सदस्य कैसे बनाए जाएं, ऐसे बूथ पर प्राथमिक सदस्यों की संख्या भी उतनी नहीं रही जितनी पार्टी द्वारा निर्धारित की गई थी। इसके बाद पार्टी द्वारा इसमें कुछ बदलाव करते हुए प्रत्येक बूथ पर 50 सदस्य बनाने वाले को भी सक्रिय सदस्य बनाने की बात कही। इस सबके बाद भी प्रदेश में 5 नवंबर तक जिस पहली सूची का प्रकाशन किया गया था, उस हिसाब से पूरे प्रदेश में सक्रिय सदस्यों की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच गई है। अब सक्रिय सदस्यों की दूसरी सूची का प्रकाशन 25 नवंबर को किया जाना है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस दिनांक तक पार्टी प्रदेश में अपने सक्रिय सदस्य के लक्ष्य को पूरा कर लेगी।
कांग्रेस का भी फोकस संगठन मजबूती पर
प्रदेश की बुधनी और विजयपुर सीट पर उपचुनाव होने के बाद अब मप्र कांग्रेस ने मैदानी स्तर पर संगठन को को मजबूत ने की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता को संगठन संबंधी जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। जिम्मेदारी सौंपने के बाद उन्हें समय-समय पर पार्टी संबंधी गतिविधियों को लेकर प्रोग्राम जारी किए जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पार्टी के नेताओं के साथ बैठक कर इस संबंध में विस्तार से चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 20 साल से सत्ता से बाहर होने के कारण प्रदेश में हमारा संगठन कमजोर हो गया है। वर्ष 2017 में तत्कालीन प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने संगठन को मजबूत करने की पहल की थी। उन्होंने ब्लॉक के नीचे मंडलम, सेक्टर का गठन कर कार्यकर्ताओं को संगठन संबंधी जिम्मेदारी सौंपी थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिला था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ ने भी संगठन को मजूबत करने के लिए गंभीरता से काम किया। उन्होंने बड़ी संख्या में विभिन्न वर्गों के मोर्चा, प्रकोष्ठों का गठन कर लोगों को पार्टी से जोडऩे का प्रयास किया। हालांकि 2023 के चुनाव में मिली करारी हार के बाद कमलनाथ के स्थान पर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। अपनी टीम का गठन नहीं होने की वजह से पटवारी अब तक संगठन की गतिविधियों को आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। पिछले महीने प्रदेश कार्यसमिति का गठन कर दिया गया है। उपचुनाव से फुरसत होने के बाद अब पटवारी संगठन को मजबूत करने को लेकर सक्रिय हो गए हैं। मप्र कांग्रेस ने वरिष्ठ नेताओं की एक राज्य स्तरीय समिति गठित की है। यह समिति प्रदेश में समय-समय पर होने वाली संगठनात्मक बैठकों, धरना, प्रदर्शन, आंदोलनों का एजेंडा तैयार करेगी। साथ ही केंद्र और प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करने के उद्देश्य से प्रारूप संकलन तैयार करने का कार्य करेगी। समिति की पहली बैठक आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में होगी।