हाउसवाइफ को कौन सा योगासनकरना चाहिए ? yoga for housewife
एक ग्रहणी स्त्री जिस दिन अपने श्रम का हिसाब मांगेगी उसे दिन इतिहास की सबसे बड़ी चोरी पकड़ी जाएगी जिंदगी के इस नगरीया में, कुछ महिलाएं दिन-रात अपने परिवार की चाहतों को पूरा करने में लगी रहती हैं। उनके कंधों पर हमेशा अपने परिवार की फरमाइशों का बोझ होता है, ऐसे में हाउसवाइफ को कौन सा yoga करना चाहिए ? यह जानना आवश्यक है , लेकिन कभी-कभी वे अपने खुद के स्वास्थ्य को भूल जाती हैं। इसलिए हम लाए हैं , yoga for housewife ,सुबह के 5 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक, वे अपने परिवार के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। लेकिन इस कठिन मेहनत के बीच, वे अपनी खुद की देखभाल को नजरअंदाज कर देती हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसी महिलाओं को अनेक स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। इनमें बदन दर्द, सिर दर्द, थायराइड,PCOD, अनियमित मासिक धर्म, मोटापा, शुगर, रक्तचाप, अस्थमा, गठियावाद और अन्य कई समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा, इन मेहनती ग्रहिणियों को चेहरे की GLOW में कमी, आँखों के नीचे काले निशान, बालों का झड़ना और अन्य समस्याएं भी होती हैं। इस प्रकार, अपने परिवार की देखभाल में इन महिलाओं की खुद की देखभाल का ख्याल रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। so let’s come on and discuss yoga for housewife
ग्रहणी की समस्याओं का कारण :=
हर समस्या को हल करने से पहले, उसकी मूल कारण को समझना अत्यंत आवश्यक है। आजकल, अधिकांश समस्याओं का मूल कारण तनावपूर्ण जीवन और अनियमित दिनचर्या होता है। 50-60 साल पहले के समय की तुलना में, आज का जीवन काफी बदल गया है। उस समय गाँवों में महिलाएं घर के कामों में अधिक शारीरिक श्रम करती थीं, जैसे बड़े बरामदों में झाड़ू लगाना, मक्खन से घी बनाना, हाथ चक्की से आटा पीसना आदि। इससे वे स्वस्थ रहती थीं और तनाव मुक्त जीवन जीती थीं।
आज की गृहिणियाँ भी कई चुनौतियों का सामना करती हैं, लेकिन उनके पास स्वस्थ रहने के कई नए तरीके उपलब्ध हैं। आधुनिक जीवनशैली में तनाव को कम करने और स्वस्थ रहने के लिए योग एक प्रभावी माध्यम है। खासकर गृहिणियों के लिए, नियमित योगाभ्यास बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। तो, housewife ko konsa yogasan karna chahiye ? गृहिणियाँ ताड़ासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन और शवासन जैसे योगासनों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकती हैं। यह योगासन न केवल शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देते हैं, बल्कि मानसिक शांति और तनाव मुक्ति भी प्रदान करते हैं।
इस प्रकार, आधुनिक गृहिणियाँ भी स्वस्थ और तनावमुक्त जीवन जी सकती हैं, बस उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। पिछले समय के अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए, वे योग और अन्य स्वास्थ्यकर गतिविधियों को अपने जीवन में शामिल कर सकती हैं।
ग्रहणी अपने दिन प्रतिदिन की समस्याओं से निजात पाने के लिए क्या करें ?
क्या एक ऐसा उपाय है जो ग्रहणी की सभी समस्याओं को एक बार में हल कर दे? कहा जाता है कि योग (yoga) अभ्यास उसके लिए सबसे अच्छा है। योग /yoga करने से ग्रहणी अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकती है। लेकिन हमें यह भी पता होना चाहिए कि कौन सा आसन किस तरह काम करता है और किस तरह उसे करना चाहिए। इसके लिए हमें योग के अलग-अलग आसनों का व्यापक ज्ञान होना चाहिए।क्या एक ऐसा उपाय है जो ग्रहणी की सभी समस्याओं को एक बार में हल कर दे? कहा जाता है कि योग अभ्यास उसके लिए सबसे अच्छा है। योग करने से ग्रहणी अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकती है। लेकिन हमें यह भी पता होना चाहिए कि कौन सा आसन किस तरह काम करता है और किस तरह उसे करना चाहिए। इसके लिए हमें योग के अलग-अलग आसनों का व्यापक ज्ञान होना चाहिए।
यहाँ कुछ सरल योगासन /yoga aasan दिए जा रहे हैं जो एक गृहिणी को नियमित रूप से करने चाहिए:
यहाँ दस योगासन दिए जा रहे हैं, साथ ही उनका विस्तृत विवरण और लाभ
1 ताड़ासन :- (प्रक्रिया) सीधे खड़े होकर हाथों को कंधों तक लाकर हथेलियों को जमीन पर रखें। सीर पर दोनों हाथ रखें। श्वास भरते हुए एडियां उठाकर पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचे। (लाभ) यह आसन आपको शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाने में मदद करता है। इससे शरीर विकसित होता है। इस आसन से मेरुदंड ढीला और खिंचाव होता है।
2. बालासन ( विधि ) घुटनों के बल बैठकर एड़ियों और टखनों को एकजुट करें। अब श्वास लेकर आगे झुकें। सिर और हथेलियां जमीन पर रखें। (उपयोग) बालासनों का उपयोग पूरे शरीर को आराम देता है। इस आसन से हमें शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
3. वृक्षासन ( विधि ) सीधे खड़े होकर दाए पैर को बाए पैर की जंघा पर रखें। वक्ष स्थल पर दोनों हाथ प्रणाम मुद्रा में रखें। सासो की गति आम होगी। (उपयोग) इस आसन से लचीलापन बढ़ता है क्योंकि यह शरीर के अधिकतर मांसपेशियों को खिंचाव देता है। यह आसन एकाग्रता को बढ़ाता है और मन की चंचलता को दूर करता है।
4. भुजंगासन (विधि) करते हुए पेट के बल लेट जाएँ। वक्ष के बगल में दोनों हाथ रखे। अब श्वास भरते हुए नाभी वाले शरीर को उठाएं। गर्दन ऊपर रहे। (उपयोग) यह आसन पीठ और कमर के दर्द के लिए अच्छा है।
5. तितलीआसन (विधि) सुखासन में अपनी योगमेट पर बैठ जाए। अपने पैरों के तलवे को दोनों हाथों से पकड़ो। जितना संभव हो जांघो के पास पैरो रखें। अब पैरो को जमीन से ऊपर उठाएं। इसे तीव्रगति से करें। श्वास गहरी और धीमी लें। (लाभ) इस आसन से पाचन और पेट की गंभीर बीमारियां दूर हो सकती हैं । इस आसन में लंबे सेर से उत्पन्न थकान भी दूर होती है। इससे जांघो और हिप्स में घिचाव होता है, जो उन्हें मजबूत बनाता है।
6. सुखासन (विधि) :- बैठकर पैरो को शरीर के सामने फैला दें। दाई जांघ के नीचे को मोड़ें। अब खाना खाने की स्थिति में बैठे हुए बाए पैर को दाए जांघ के नीचे रखें और हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। (लाभ) यह ध्यान को बढ़ाता है। यह मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। ध्यान करने के लिए सुखासन सर्वोत्तम आसन है।
7. पवनमुक्तासान : सीधे लेटकर दाहिने घुटने को मोड़ें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर घुटने को कसकर पकड़ो। अब वह स्वास करने लगा और घुटने को वक्षस्थल के निकट रखा। (लाभ) यह आसन पीठ की पेशियों को मजबूत बनाता है। इससे उदर विकार नहीं होते। यह भी मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में मदद करता है।
8. उत्तानपादासन विधि: दोनों पंजे कंधों की चौड़ाई के बराबर होने चाहिए। स्वास लेते हुए घुटनों पर सीर टिकाए। दोनों पैरों को अपने हाथों से पकड़ ले। (लाभ) रीढ़ की हड्डी, कुल्हों और घुटनों की लचीलेपन को बढ़ाता है। दिमाग को शांत करता है और चिंता और थकान को दूर करता है। पाचन को बेहतर बनाता है।
9 . शवासन (विधि) :- करते समय पीठ के बल सीधा लेट जाएं। कंधे की सीध में खुली हथेलियां रखें। जब आप सीर को दाईं ओर और बाई ओर नहीं घुमाते, तो आपका सीर बिल्कुल सीधा रहेगा। आंखें बंद करके श्वास पर ध्यान दें। (लाभ) इस आसन से थकान, सिरदर्द और अनिद्रा को दूर किया जा सकता है। याददाश्त और एकाग्रता में सुधार करने के लिए नियमित रूप से शवासन करना चाहिए। इस आसन को सारे आसनों के बाद में करने पर बहुत लाभ मिल सकता है।