बदायूं। रविवार को शहर के मोहल्ला फरशोरी टोला निवासी उमैद फरशोरी, जैद फरशोरी के सफ़र उमराह से वापसी आने पर रिश्तेदारो और मोहल्ले वालो ने स्वागत कर उनको मुबारकबाद दी। उमैद और जैद ने कहा कि ज़्यारत ए उमरा बहुत बड़ी सआदत है। हर मोमिन की ख्वाहिश मक्का और मदीना जाने की होती है। उन्होंने ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए सफर ए उमरा के अनुभव साझा करते हुए कहा कि जितना सुकून वहां पहुंच कर मिला वैसा कहीं नहीं है। मदीना मुनव्वरा में हर हर क़दम पर यक़ीन था कि आका की मेरे ऊपर नज़रे करम है। पूरा सफर इबादत में गुजरा। सभी लोगों के लिए और अपने मुल्क में अमन ओ अमान व तरक़्की व खुशहाली की दुआएं की। इस मौके पर जलील फरशोरी, मंजर फरशोरी, महजर फरशोरी, जहीर बेग, तनवीर बेग, अमान, दानिश कादरी, जुनैद, जमाल, बिलाल, जमन, साद, हया, फरहीन, जयान बेग, अयान बेग, ताहिर मियां, इकबाल आदि मौजूद रहे।
इस्लाम के जानकारों ने बताया कि मुसलमानों की सबसे पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण हज यात्रा के बाद उमराह को अक्सर छोटी यात्रा के रूप में जाना जाता है। छोटे और सरल अनुष्ठानों की विशेषता, यह तीर्थ यात्रियों के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। हालांकि उमराह अनिवार्य नहीं है, इस्लाम के माने वालों के अनुसार जीवन में कम से कम एक बार तीर्थ यात्रा करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। उमरा करने का सबसे अच्छा समय दिसंबर और जनवरी लोकप्रिय महीने हैं। जब कई मुसलमान मक्का की यात्रा करना पसंद करते हैं। इसकी दो वजह हैं एक, हज का मौसम खत्म हो जाना और दूसरा मक्का में महीनों का मौसम सुहावना रहता है।