नई दिल्ली। सुश्रुत जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) रविवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शल्यकॉन का आयोजन करने जा रहा है। प्रतिवर्ष 15 जुलाई को मनाई जाने वाली सुश्रुत जयंती, शल्य चिकित्सा के जनक माने जाने वाले महान आचार्य सुश्रुत की स्मृति में मनाई जाती है।
एआईआईए का शल्य तंत्र विभाग, प्रो. (डॉ.) योगेश बडवे के नेतृत्व में राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के 25वें वार्षिक सम्मेलन के सतत शैक्षणिक कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। एआईआईए की निदेशक (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य उभरते आयुर्वेदिक सर्जनों को एकीकृत शल्य चिकित्सा देखभाल के अभ्यास में बेहतर दक्षता और आत्मविश्वास से लैस करना है।
एआईआईए की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय संगोष्ठी में 13 और 14 जुलाई को लाइव सर्जिकल प्रदर्शन होंगे जिनमें सामान्य सर्जरी, गुदा-मलाशय सर्जरी और यूरोसर्जिकल मामले शामिल होंगे। पहले दिन, दस सामान्य एंडोस्कोपिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाएंगी। दूसरे दिन सोलह गुदा-मलाशय सर्जरी की लाइव सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल होंगी, जो प्रतिभागियों को वास्तविक समय की शल्य चिकित्सा पद्धतियों को देखने और उनसे सीखने का अवसर प्रदान करेंगी। तीन दिनों में एक विशेष पूर्ण सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें सामान्य और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, घाव प्रबंधन और पैरा-सर्जिकल तकनीकें, गुदा-मलाशय सर्जरी, अस्थि-संधि मर्म चिकित्सा और सर्जरी में नवाचार। अंतिम दिन 200 से अधिक मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियां भी होंगी।
14 जुलाई को होने वाले उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव गणपतराव जाधव उपस्थित रहेंगे। अतिथियों में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए), जयपुर के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा और आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए), जामनगर की निदेशक प्रो. (डॉ.) तनुजा नेसारी शामिल हैं।