- परिसीमन के मुद्दे पर सदन में शोर शराबा
- संसद के बाहर डीएमके सांसदों का विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग की शुरुआत के पहले दिन सोमवार को दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने शोर-शराबा और हंगामा किया। काफी देर नारेबाजी करने के बाद राज्यसभा से विपक्ष ने वॉकआउट भी किया। विपक्ष के इस आचरण पर राज्य सभा में सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश से विपक्ष के सदस्यों को फ्रेशर कोर्स कराने की सिफारिश कर दी।सोमवार को राज्यसभा में नियम 267 के तहत रखे गए सभी नोटिस को खारिज करते हुए उपसभापति ने सदन की कार्यवाही शुरू की लेकिन विपक्ष के कुछ सदस्य और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तय मुद्दे से हटकर दूसरे विषय को उठाने लगे।
नेता विपक्ष ने मतदाता सूची में कथित हेराफेरी का मुद्दा उठाने का प्रयास किया। इस पर उपसभापति ने सभापति द्वारा 8 दिसंबर 2022 और 19 दिसंबर 2022 को दी गई व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि फिलहाल ये मुद्दा रिकॉर्ड पर नहीं होगा। कांग्रेस के सदस्य इसके बाद नारेबाजी करने लगे और बाद में सदन से वॉकआउट कर दिया।नेता सदन जेपी नड्डा ने विपक्ष के वॉकआउट की निंदा कहते हुए इसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार बताया। उन्होंने कहा, “कुछ दिन से देख रहा हूं कि सदन में नियम 267 के तहत कुछ लोग नोटिस दे देते हैं और सभापति ने कई बार रूलिंग दी है, उस नियम और रूलिंग को ध्यान में रखकर आप नोटिस रिजेक्ट करते हैं। ये जो प्रथा है, ये कहीं ना कहीं विपक्ष की तरफ से संस्थागत ढांचे को नुकसान पहुंचाने का कुत्सित प्रयास है। ये लोग सदन में चर्चा करने में भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
“नड्डा ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए बिल्कुल तैयार है लेकिन कुछ नियम और कानून होते हैं, जिसके तहत बहस होती है। यह देश को जानना चाहिए कि किस तरह से विपक्ष गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहा है। संसद में किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को दुनिया में स्थापित करने का काम हुआ है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद तिरुचि शिवा और पार्टी के अन्य सांसदों ने परिसीमन के मुद्दे पर सोमवार को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। पत्रकारों से बातचीत में तिरुचि शिवा ने केंद्र सरकार से परिसीमन प्रक्रिया का विकल्प तलाशने की अपील की और कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
प्रदर्शन के दौरान डीएमके सांसदों ने “डोंट विक्टिमाइज्ड सदर्न स्टेट्स, वी वांट जस्टिस” के नारे लगाए। इस मौके पर तिरुचि शिवा ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया 2026 में पूरी होनी है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक नियमों के अनुसार इसे जनसंख्या के आधार पर पूरा किया जाना चाहिए। इससे पहले 42वें संशोधन और 84वें संशोधन में इसे 25 साल बाद पूरा करने का फैसला किया गया था, क्योंकि परिवार नियोजन नीतियों की प्रगति को ध्यान में रखना होगा।
अगर परिसीमन की प्रक्रिया उस आधार पर पूरी की जाती है, तो तमिलनाडु सहित सभी दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा। इससे पहले आज राज्यसभा में तिरुचि शिवा ने तमिलनाडु के लिए परिसीमन पर चर्चा करने के लिए राज्यसभा के बिजनेस रूल्स 267 के तहत एक नोटिस दिया था लेकिन उप सभापति ने इस नियम के तहत दिए गए सभी दलों के सदस्यों के नोटिस अस्वीकार करते हुए सदन की कार्यवाही आगे बढ़ा दी। उसके बाद इसे लेकर सदन में शोर शराबा हुआ और विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया।