- 24 घंटे पहले गाय मारकर खाया था, वन विभाग की कोशिश लाई रंग
लखनऊ। कहने को होली पर्व आने में अभी एक हफ्ते से अधिक का समय बचा हुआ है, मगर बुधवार की शाम सात बजे रहमानखेड़ा में ग्रामीणों ने जमकर होली पर्व का जश्न मनाया। राजधानी मुख्यालय से तकरीबन 25 किमी दूर रहमानखेड़ा में आखिरकार बाघ 90 दिन बाद बाघ पकड़ लिया गया है। वन विभाग की टीम ने बाघ को जोन दो में ट्रेंकुलाइज किया। इसके बाद बाघ बेहोश हो गया। टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए कई दिनों से कड़ी घेराबंदी कर रखी थी। बाघ ने अब तक 25 जानवरों का शिकार किया था। आखिरी शिकार बुधवार सुबह ही किया था।
इस बार बाघ ने गेहूं के खेत में गाय को मारा है। घटना के बाद ग्रामीणों में और दहशत बढ़ गई थी। गौर हो कि बीते सोमवार को भी बाघ ने एक पड़वा का शिकार किया था। इस दौरान मौके पर डॉक्टर भी मौजूद थे, लेकिन अंधेरे का फायदा उठाकर बाघ उनके सामने से ही पड़वा को उठाकर भाग गया था। वन विभाग की टीम ने पड़वा को एक जाल के नीचे बांध रखा था, ताकि बाघ को ट्रैक किया जा सके, लेकिन वह इतनी तेजी से हमला कर शिकार लेकर भागा कि डॉक्टर और टीम कुछ नहीं कर पाए थे। बाघ की हरकतों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने हाईटेक तकनीक का सहारा लिया था।
बेंगलुरु से विशेषज्ञ डॉक्टर बिहार को बुलाया गया था, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरों के जरिए बाघ के मूवमेंट को ट्रैक किया। बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ के डीएफओ सीतांशु पांडे ने पूरे इलाके की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए थे। उन्होंने सभी जोन का निरीक्षण करने के साथ-साथ ड्रोन कैमरों से बाघ की तलाश करने के आदेश दिए थे। बाघ को ट्रैक करने के लिए हाथियों की मदद भी ली जा रही थी। इस अभियान में हथिनी डायना और सुलोचना को उतारा गया था।
बाघ के बढ़ते हमलों से रहमान खेड़ा और आसपास के गांवों में लोग काफी डरे हुए थे। स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग से जल्द से जल्द बाघ को पकड़ने की मांग की थी। कई ग्रामीणों का कहना था कि वे अब खेतों में काम करने से भी डरने लगे हैं। वन विभाग की टीम लगातार बाघ पर नजर रखे हुए थी। बुधवार शाम सात बजे के करीब बाघ की लोकेशन मीठेनगर इलाके में मिली जहां पहले से ही वन विभाग की टीम मुस्तैद थी, ऐसे में मौका मिलते ही बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिये क्रमवार दो बार डॉट किया गया और वो ऐसे में टीम की पकड़ में आ गया।