मुंबई। ‘करण अर्जुन’ को-स्टार ममता कुलकर्णी 25 साल बाद भारत लौट आई हैं। अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह भारत लौटने पर भावुक और खुश नजर आ रही हैं। ममता कुलकर्णी ने वीडियो में कहा कि वह 25 साल बाद भारत लौटी हैं और मुंबई पहुंचकर उनकी पुरानी यादें ताजा हो गई हैं। उन्होंने कहा कि जब उनकी फ्लाइट भारत के ऊपर से गुजर रही थी तो वह अपनी मातृभूमि को देखकर काफी भावुक हो गईं। मुंबई एयरपोर्ट पर पर उतरते समय, वह अपने आंसू नहीं रोक सकीं और एक बेहद भावनात्मक क्षण का अनुभव किया।
देश वापसी पर क्या बोलीं ममता कुलकर्णी?
वीडियो में ममता कहती हैं- ‘हाय फ्रेंड्स, मैं ममता कुलकर्णी। मैं 25 साल बाद भारत, बॉम्बे, मुंबई, आमची मुंबई आई हूं। मैं साल 2000 में भारत से बाहर गई थी और अब ठीक 2024 में लौटी हूं। वापस लौटकर मैं वाकई बहुत खुश हूं। मुझे नहीं पता कि इसे कैसे जाहिर करूं, लेकिन सच में जब फ्लाइट लैंड हुई या फ्लाइट लैंड होने से पहले, मैं लगातार अपने दाएं-बाएं देख रही थी। मैंने 25 साल बाद अपने देश को ऊपर से देखा और इमोशनल हो गई। मेरी आंखों में आंसू थे। मैंने जैसे ही मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कदम रखा, मैं फिर से इमोशनल हो गई।’ इसी के साथ ममता ने भारत वापस लौटने की वजह भी बताई। अभिनेत्री के अनुसार, वह महाकुंभ मेले के लिए भारत लौटी हैं।
विवादों में रह चुकी हैं ममता कुलकर्णी
आपको बता दें कि फिल्म के अलावा ममता अपनी निजी जिंदगी के कारण भी सुर्खियों में रही हैं। 12 अप्रैल 2016 को, ठाणे पुलिस ने दो वाहनों से तीन किलोग्राम इफेड्रिन पाउडर बरामद किया, जो मादक दवाओं की श्रेणी में आता है। इस मामले में आरोपी मयूर और सागर को गिरफ्तार किया गया था और ड्रग्स की कीमत लगभग 80 लाख रुपये थी। इन दोनों के पास फर्जी पहचान पत्र भी थे।
कोर्ट का फैसला
जांच के दौरान पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि ममता कुलकर्णी समेत सात लोगों को वॉन्टेड घोषित किया गया। पुलिस ने आरोप लगाया कि ममता कुलकर्णी ने जनवरी 2016 में केन्या में एक मीटिंग में हिस्सा लिया था और आरोपी विक्की गोस्वामी और अन्य के साथ इस पर चर्चा की थी। हालांकि, ममता कुलकर्णी ने अपने वकील माधव थोराट के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि उनके खिलाफ आरोप केवल सह-अभियुक्त के बयान पर आधारित हैं और इसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। अंततः, अदालत ने आरोपों और सबूतों की समीक्षा करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत उसके खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे।