नवादा। नवादा जिले के अकबरपुर तथा पकरीबरमा थाना अध्यक्ष रहते हुए बालू तथा दारू माफियाओं के साथही गुंडों पर लगाम लगनेवाले पुलिस अवर निरीक्षक अजय कुमार को मगध क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक छत्रनील सिंह ने उनके आवेदन पर नवादा पुलिस बल से गया पुलिस बल में स्थानांतरित कर दिया है। पुलिस अवर निरीक्षक अजय कुमार के अभ्यावेदन ने नवादा के पुलिस अधीक्षक सहित कई बड़े अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है कि आखिर जिन माफियाओं से उन्हें खतरा था ।इस मुद्दे की जांच क्यों नहीं कराई गई ।दबी जुबान से पुलिस महकमे में बैठे अधिकारियों ने भी यहां तक कहा कि सत्ताधारी दल के राज नेताओं पर दबाव बनाकर माफियाओं ने अजय कुमार को पकरीबरामां के थाना अध्यक्ष के पद से पुलिस केंद्र स्थानांतरित करने को एसपी को बाध्य कर दिया ।
यहां तक कि नवादा के एसपी राजनेताओं के दबाव में आकर थाना अध्यक्ष को स्थानांतरित किया। जबकि थाना अध्यक्ष का बेहतर क्रियाकलाप नवादा जिले में सभी थाना अध्यक्षों से बेहतर रहा है। जिसके लिए उन्हें कई बार पुरस्कृत भी किया गया है ।यहां तक कि उनकी सेवा पुस्तिका में आज तक एक निन्दन की भी सजा नहीं दी गई है। बावजूद माफियाओं पर अंकुश लगाने के कारण एसपी पर दबाव बनाकर माफिया तत्व हटवाने में कामयाब रहे। पुलिस अवर निरीक्षक अजय कुमार के द्वारा उच्च अधिकारियों के लिखे गए आवेदन से नवादा के आलाअधिकारी भी कटघरे में खड़े हैं। आखिर किसी पुलिस अधिकारी पर जान का खतरा होगा ,तो क्या एसपी के द्वारा इसकी जांच नहीं कराई जाएगी ।उसे केवल पुलिस केंद्र स्थानांतरित कर कर्तव्यों की इति श्री कर ली जाएगी ।
नवादा के एसपी के इस तरह के क्रियाकलाप ने कहीं न कही उन्हें भी माफिया तत्वों के सामने कमजोर साबित किया है ।अगर एक सप्ताह के भीतर एसपी तथा राजनेताओं के बातचीत के कॉल डिटेल्स निकालकर उसके अंश निकल जाएं ,तो निश्चित तौर पर इस स्थानांतरण मामले का पर्दाफाश हो जाएगा तथा राजनेताओं के कारनामे का भी खुलासा होगा। भले नीतीश सरकार बालू – दारू माफियाओं पर अंकुश लगाने का ढिंढोरा पीट ले ।लेकिन सच्चाई है कि आज भी माफिया तत्व बड़े-बड़े राजनेताओं को प्रभावित कर अपना राज चला रहा है ।जहां निश्चित तौर पर पुलिस अधिकारी मजबूर बने हैं ।पुलिस अधिकारी मजबूर होकर माफियाओं को उनके काम करने की छूट दे और अगर उनके मर्जी से काम नहीं किया तो उसे पकरीबरामां के थाना प्रभारी अजय कुमार जैसे ही खामियाजा भुगतने पड़ेंगे । वरीयआलाधिकारी के इस तरह के क्रियाकलाप से कनीय पुलिस अधिकारियों का मनोबल गिरा है । स्थानांतरण की सच्चाई जिले के एक-एक पुलिस अधिकारी के साथही प्रबुद्ध नागरिक भी जान रहे हैं ।जिसका असर निश्चित तौर पर विधि व्यवस्था के संधारण में पड़ेगा ।अगर पुलिस के आला अधिकारी अजय कुमार के स्थानांतरण प्रक्रिया के तथ्यों की वैज्ञानिक जांच कराए तो निश्चित तौर पर राजनेता कटघरे में खड़े मिलेंगे। स्थिति चाहे जो भी हो लेकिन इतना सत्य है कि इस कदर की घटना ने शांतिप्रिया नागरिकों तथा कनीय पुलिस अधिकारियों को मायूस जरूर किया है।