हिंदू धर्म में दान का बहुत महत्व बताया गया है. खासकर अगर कोई व्यक्ति मंदिर में कुछ विशेष चीजों का दान करता है, तो उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर का पुण्य प्राप्त होता है, उसके पिछले जन्मों के कर्मों से मिलने वाला दुख भी नष्ट हो जाता है, और जीवन में खुशहाली आती है और ऐसे व्यक्ति को कभी धन की भी कमी नहीं रहती है. इतना ही नहीं, दान करने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
मंदिर में इन चीजों का करें दान
मूर्ति दान: मंदिर में भगवान की मूर्ति दान करना बेहद शुभ माना जाता है. जब-जब उस मूर्ति की पूजा होगी, उसका फल दानदाता को मिलता रहेगा. मूर्ति की सेवा, स्नान, और अभिषेक से लगातार पुण्य की प्राप्ति होती है.
पूजा के बर्तन: तांबे या पीतल के लोटे, थाली, दीपक जैसी चीजों का दान करने से भी अनंत पुण्य मिलता है. जब-जब इन बर्तनों का उपयोग भगवान की पूजा में होगा, उतनी बार दानदाता को फल प्राप्त होगा और उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती है.
शिवलिंग की स्थापना: अगर आप मंदिर में शिवलिंग स्थापित करवाते हैं तो ये बेहद शुभ होगा. जितनी बार उस शिवलिंग का अभिषेक होगा उतनी बार आपके पाप कटेंगे. इससे आपके जीवन में कोई परेशानी और बाधा नहीं आएगी.
पीपल, बरगद या बेलपत्र का पेड़ लगाना: अगर आप मंदिर में ये पेड़ लगाते हैं तो भी बेहद अच्छा रहेगा. इन पेड़ों के पत्तों का उपयोग पूजा में होता है जिससे बार-बार पुण्य की प्राप्ति होती है.
मंदिर का निर्माण: अगर मंदिर का निर्माण हो रहा है तो आप टाइल्स, सीमेंट या अन्य सामग्री दान कर सकते हैं. इससे भी आपको अनंत पुण्य मिलेगा.
पानी का प्याऊ: आप अगर मंदिर में प्याऊ लगवाते हैं तो ये भी बेहद पुण्य का कार्य होगा. क्योंकि इस पानी का उपयोग पूजा, अभिषेक में होगा. साथ ही इससे किसी प्यासे को जल मिलेगा.
तेल और घी का दान: दीपक जलाने के लिए तेल या घी दान करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
भंडारे के लिए अनाज: भंडारे के लिए चावल, गेहूं या अन्य अनाज दान करना भी बहुत बड़ा पुण्य माना जाता है. इससे लाखों लोगों का पेट भरता है और इसका फल आपको जन्म-जन्मांतर तक मिलता है.
भगवान को भोग का सामान: भगवान को अर्पित किए जाने वाले फल, मिठाई, पंचामृत आदि का दान भी अत्यंत शुभ होता है. जब-जब भगवान को भोग लगेगा, तब-तब आपको उसका पुण्य मिलेगा.
दीपक दान: जब-जब दीपक जलाया जाएगा, उतनी बार दानकर्ता को आशीर्वाद मिलेगा.