बस्ती – जिसका शरीर सुन्दर है किन्तु हृदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है। पूतना का विनाश होने पर ही कृष्ण मिलन हो पाता है। जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। ‘‘ सन मुख होय जीव मोहि जबही। जन्मकोटि अघ नाशहुं तबही।। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है। प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी। यह सद् विचार आचार्य अनिरूद्ध जी महाराज ने राजेश्वरी मिश्रा प्राकृतिक कृषि फार्म दुबखरा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथेे दिन व्यासपीठ से व्यक्त किया।
कथा पाण्डाल में श्री कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द के साथ मनाया गया। श्रद्धालु भक्तजनों ने श्रीकृष्ण का दर्शन कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया। ‘‘भये प्रकट कृपाला, दीन दयाला’’ के बीच गुब्बारे उडाकर मिठाई का वितरण हुआ। अवतार कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सृष्टि में जब पापाचार, दुराचार बढ जाता है तो परमात्मा विविध रूप धारण कर नर लीला करते हुये पृथ्वी को पाप से मुक्त करते हुये सदाचरण सिखाते हैं। प्रत्येक अवतार के पीछे लोक मंगल की कामना छिपी है। ईश्वर भक्तों की सुख शांति के लिये स्वयं कितना कष्ट भोगते हैं यह भक्त ही जानते हैं। महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे भी तारते हैं। उन्हें सत्ता नहीं संत और सहजता प्रिय है। रावण का बध कर श्रीराम चन्द्र ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और कन्हैया ने कंस का बध कर राज्य उग्रसेन को दे दिया।
महात्मा जी ने कहा कि जीवन कर्म भूमि है और उसका उचित अनुचित फल भोगना पड़ता है। जीवन को जितना सहज बनाकर प्रभु को अपर्ण करेंगे जीवन में उतनी ही शांति मिलेगी। गोपाल शर्मा, लक्ष्मण, आशीष ने भक्ति गीतों से वातावरण को आध्यात्मिक हो गया है। गोपाल शर्मा, लक्ष्मण, आशीष ने भक्ति गीतों से वातावरण को आध्यात्मिक हो गया है। यज्ञाचार्य योगेश शुक्ल और मनीष मिश्र ने विधि विधान से पूजन कराया।
श्रीमद्भागवत कथा के क्रम में मुख्य यजमान कर्नल के.सी. मिश्र, ने विधि विधान से व्यास पीठ का पूजन अर्चन किया। मुख्य रूप से गोसेवा आयोग उपाध्यक्ष महेश शुक्ल, मनीष सिंह, ऊषा सिंह, राजपति, अंकुर यादव, राधेश्याम यादव, रंजीत मिश्र, कर्नल मिथुन मिश्र, रामवृक्ष मिश्र, लालजी मिश्र, बजरंगी मिश्र, डा. सत्यनरायन मिश्र, डा. अवध नरायन मिश्र, दिग्विजय, रविन्द्र, आनन्द, कृष्ण कुमार पाण्डेय, आर.के. शुक्ल, सुशील मिश्र, आर.के. शुक्ल, आर.के. त्रिपाठी, कुसुम मिश्रा, अनुराधा पाण्डेय, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।