* तमाम कड़ियो को जोड़ने के बाद हत्याकांड की गुत्थी अनसुलझी..
* पुलिस के लिऐ घटना का अनावरण बना चैलेंज..
* खौफजदा परिवार हत्यारों की ओर निहार रही डबडबाई आंखे..
रोहित मिश्रा-
सीतापुर(तरुण मित्र) राघवेन्द्र मर्डर केस की गुत्थी का राजपाश कब होगा यह हर एक लिऐ चर्चा का विषय बना हुआ है वहीं पुलिस के लिऐ बेहद चुनौती है। घटना के पीछे तमाम एंगल से जोड़ेने के बावजूद मर्डर को उजागर करने की कवायद परवान नही चढ़ पा रही। राघवेन्द्र की हत्या को लगभग एक सप्ताह होने को है,उसके खून से होली खेलेने वाले अभी तक आजाद हैं। पुलिस का तंत्र तमाम कवायदों के बाद भी हत्यारों की धूल पाने से दूर है। दिन-दहाड़े हुई पत्रकार की हत्या से आये उबाल तथा बढ़ते दबाव को देखते हुये भले ही पुलिस ने जल्द घटना को खोलने का दावा किया हो, लेकिन तमाम पहलुओ पर चाहे भृष्टाचार से जुड़ी खबरों के उजागर करने अथवा किसी महिला कनेक्शन की बात सामने आने के बाद तमाम लोगो को हिरासत मे लेकर पूंछताछ की गयी, पर पुलिसिया तंत्र को नतीजन कुछ हासिल नही हुआ।
पुलिस की तमाम टीमे अभी भी सीसीटीवी खंगाल कर कुछ निकालपाने की जद्दोजहद में लगी हैं। शुक्रवार को सदर कोतवाली प्रभारी अनूप शुक्ला अपने जाबाजों के साथ महोली नगर व अन्य जगहों पर सीसीटीवी जांचते देखे गये।
राघवेन्द्र हत्या कांड में कभी खाद्यान्न घोटाले से जुड़े लोगो के तार तो कभी जमीन से जुड़े होने का मामला सामने आया। जैसे ही पत्रकार संगठनों सहित तमाम सामाजिक,व्यापारी,वकीलो में आक्रोश उजागर होने के साथ सड़क पर उतरने लगा तो मर्डर केस मे राघवेन्द्र के किसी महिला के साथ संबधो की बात सामने आने लगी जो खबरों का आधार बनी। घटना के पीछे अगर मान भी लिया जाये कि राघवेन्द्र की हत्या किसी महिला कनेक्शन के तहत हुई तो इतना समय बीत जाने के बाद मर्डर केस की गुत्थी अनसुलझी सी क्यों है। इससे जाहिर होता है पुलिस तंत्र सिर्फ हवा में तीर चला रहा है जिसके चलते अभी तक मर्डर केस एक अनसुलझी पहेली बनकर रह गया है। फिलवक्त त्योहार के चलते भले ही राघवेन्द्र हत्याकांड का उबाल कम हो गया हो लेकिन लोगों का आक्रोश कम नही हुआ है। तमाम पत्रकारों ने कहा अगर जल्द घटना का खुलासा न हुआ तो एक बड़ा आंदोलन अपना रूख अख्तियार कर सकता है। देखना होगा पुलिस के लंबे हांथ राघवेन्द्र के हत्यारों की गर्दन तक कब पहुंचते हैं।
वही राघवेन्द्र का परिवार जहां खौफजदा है तो उनकी डबडबाई आंखे उनके लाड़ले के हत्यारों की ओर निहार रही है कि आखिर किस दुश्मन ने उनके बेटे के साथ पूरे परिजनों को ताउम्र रोने के लिऐ मजबूर कर दिया।