रवि गुप्ता
लखनऊ। राजधानी लखनऊ के जानकीपुरम निवासी बसंत प्रसाद (55) के घर पर कुछ दिन पहले मुंबई के ठाणे से उनके काफी करीबी रिश्तेदार राधेश्याम (58) की बिटिया की शादी का निमंत्रण आया जोकि वहीं थाणे में ही आगामी नौ मार्च रविवार को है। अब चूंकि राधेश्याम पिछले साल लखनऊ बसंत के बेटे की शादी में सपरिवार आये थे, तो ऐसे में बसंत पर काफी पारिवारिक दबाव है कि हर हाल में मुंबई पहुंंचना है। बसंत ने न्यौता क्या देना है, किसको मुंबई साथ चलना सारा प्लान तैयार कर लिया है, मगर सारी बात यहीं आकर अटक जाती है कि…आखिर लखनऊ से मुंबई तक का सफर पूरा कैसे करें…बसंत के अनुसार नौ मार्च को आॅनलाइन चेक किया तो उस दिन लखनऊ से पुष्पक व लखनऊ एलटीटी एसी एक्सप्रेस है, मगर उसमें भी वेटिंग है जबकि पीछे से आने वाली टेÑनों में भी कुछ ऐसा ही हाल है। अब यदि वो वेटिंग टिकट ले लेते हैं तो भी इस बात की क्या गारंटी कि नौ मार्च को चार घंटे पहले उनका टिकट कन्फर्म हो जायेगा। वहीं हवाई यात्रा का विकल्प देखा तो वो उनकी जेब पर कहीं अधिक भार पड़ रहा, ऐसे में लखनऊ से मुंबई तक की यात्रा की अलग परेशानी और ऊपर से आपसी रिश्ते में जो खटास आ जायेगी, उसको लेकर वो काफी चिंतित हैं और बात करने पर बताया कि पूरा पैसा एडवांस में देने के बाद भी रेलवे से मुझे कन्फर्म टिकट नहीं मिल पा रहा है…साथ ही यह भी कमेंट किया कि मोदी जी और रेल मंत्री जी का तो पूरा फोकस जैसे वंदे भारत चलाने पर ही टिका रहता है, जिसका हम जैसे मीडिल क्लास रेल यात्रियों के लिये कोई खास मायने नहीं। वहीं देखा जाये तो वाया लखनऊ होकर जो मुंबई तक टेÑनें हफ्ते में अलग-अलग दिनों में जाती हैं, उनमें गोरखपुर, बरौनी, मां बेल्हा देवी प्रतापगढ़ और बरौनी आदि स्टेशनों से शुरू होती हैं जिनमें पहले से ही लम्बी वेटिंग या फिर नो रूम की स्थिति रहती है।
बहरहाल, यह अकेले इनकी ही पीड़ा नहीं बल्कि तकरीबन 13 साल से लखनऊ वासियों को डुप्लीकेट पुष्पक एक्सप्रेस का इंतजार है, जोकि आज भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। बता दें कि हैरानी की बात तो तब है कि जब राजधानी लखनऊ के उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल से डीआरएम होकर निकले तीन सीनियर रेल अधिकारी भारतीय रेल के सबसे सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं जिनमे क्रमश: विनोद कुमार यादव (एनईआर डीआरम रहे, चेयरमैन रेलवे बोर्ड-सीईओ तक पहुंचे), एके लाहोटी (एनआर डीआरएम रहे, चेयरमैन रेलवे बोर्ड रहे) और अब मौजूदा समय में सतीश कुमार जोकि पूर्व में एनआर लखनऊ मंडल डीआरएम रहे और अभी चेयरमैन व सीईओ रेलवे बोर्ड के पद पर काबिज हैं। इसके बाद भी डुप्लीकेट पुष्पक एक्सप्रेस के संचालन में इतने लंबे समय से केवल वेटिंग और वेटिंग की ही स्थिति बन रही।
बीते गुरुवार को जब पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के नवागत डीआरएम गौरव अग्रवाल पहली बार लखनऊ कार्यालय में मीडिया कर्मियों से मुखातिब हुए तो तरूणमित्र टीम ने उनसे यही सवाल किया कि आखिर शहर वासियों के लिये बहुप्रतीक्षित डुप्लीकेट पुष्पक टेÑन कब तक चलेगी, उनके तरफ से वही रटा-रटाया जवाब मिला जो कि पहले के डीआरएम क्रमवार देते रहें…डुप्लीकेट पुष्पक चलाने का प्रपोजल भेजा जा चुका है, अब रेलवे बोर्ड ही उस पर फाइनल अप्रूवल देगा। कुल मिलाकर उनकी बात से यही आशय निकलता है कि डुप्लीकेट पुष्पक टेÑन के संचालन को लेकर पहले फेज के स्तर से एनईआर लखनऊ डिवीजन हर बार ग्रीन सिग्नल प्रपोजल भेजने के तौर पर तो दे दिया जाता है…लेकिन मामला रेलवे बोर्ड तक जाते-जाते कहीं अटक जाता है, यानी बोर्ड में लम्बी वेटिंग है। जबकि लखनऊ के कुछ वरिष्ठ नागरिकों से बात की गई तो उनका यह कहना रहा कि, भाई जी अटल जी का दौर चला गया, टंडन जी का बीत गया और अब अगर राजनाथ जी चाहेंगे तभी जिस तरह गडकरी जी से लखनऊ के मंच पर मांग रखकर शहर को कई रिंग रोड दिलवाया, और अब आगे कभी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जी आयें तो वहीं मौके पर ही कहेंगे तो डुप्लीकेट पुष्पक टेÑन चलने की बात जरूर बन जायेगी।
पुष्पक को कर दें पूरी एसी, चला दें जनसाधारण!
वहीं रेल परिवहन व्यवस्था से जुडेÞ जानकारों की माने तो उनका यही कहना रहा कि यदि एनईआर लखनऊ मंडल टीम को इतने सालों से डुप्लीकेट पुष्पक टेÑन चलवाने में इतनी दिक्कत आ रही है तो एक बेहतर विकल्प और बन सकता है। उनके अनुसार मेन पुष्पक टेÑन को पूरी तरह एसी क्लास में कन्वर्ट कर दें और अलग से लखनऊ से मुंबई के लिये जनसाधारण टेÑन चला दें, इससे पुष्पक एक्सप्रेस में एसी, स्लीपर और जनरल यात्रियों के बीच सीटों को लेकर जो हर बार मारामारी होते देखने को मिलती है, उससे निजात मिल जायेगी। मगर सवाल यह भी है कि जनसाधारण टेÑन संचालन के लिये इतनी संख्या में जनरल बोगियों का इंतजाम कहां से और कैसे हो पायेगा।
डुप्लीकेट पुष्पक का प्रपोजल भेजा जा चुका: डीआरएम एनईआर
डुप्लीकेट पुष्पक टेÑन के संचालन को लेकर नवागत डीआरएम एनईआर लखनऊ मंडल गौरव अग्रवाल का यही कहना रहा कि रेलवे बोर्ड को प्रपोजल भेजा जा चुका है, और अब वहां से जब अप्रूवल मिल जायेगा तो संभवत: आगे इस टेÑन का संचालन लखनऊ जंक्शन के बजाये, गोमतीनगर टर्मिनल स्टेशन से शुरू कराया जायेगा।
पुष्पक में सीट के लिये लगती हैं जूते-चप्पल-बैग की लम्बी कतारें: सांसद प्रतिनिधि
लखनऊ शहर के रेल विकास और यात्री सुविधाओं के मद्देनजर जब तरूणमित्र टीम ने केंद्रीय रक्षामंत्री और लखनऊ सांसद राजनाथ सिंह के प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी से बातचीत की तो उनका यही कहना रहा कि आप एकदम सही कह रहे हैं, मैं तो काफी पहले से यह देखते आ रहा हंू, छोटी लाइन लखनऊ जंक्शन पर पुष्पक टेÑन में लोगों को सीट पर बैठने के घंटों पहले जूते, चप्पलों व बैग की लम्बी कतारें लगानी पड़ती हैं। आपके द्वारा यह प्रकरण मेरे संज्ञान में लाया गया है, हर माह रेल अधिकारियों के साथ बैठक भी होती है, इसको त्वरित गति से उठाया जायेगा।