चेन्नई। राष्ट्रीय समुद्री संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई में आज “समुद्री नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। सेमिनार का उद्घाटन डॉ. विजय कुमार सारस्वत, नीति आयोग के सदस्य और रक्षा क्षेत्र के प्रसिद्ध वैज्ञानिक शामिल हुए।
पीआईबी चेन्नई के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह सेमिनार समुद्री नवीकरणीय ऊर्जा में नवीनतम प्रगति और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए भारत और दुनिया भर के छात्रों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक मंच पर साथ लाकर चर्चा जा रही है। यह आयोजन 17-18 मार्च, 2025 तक भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय समुद्री संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित किया जा रहा है जिसका समापन कल किया जाएगा।
उद्घाटन के दौरान डॉ. सारस्वत ने कामराज पोर्ट तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप प्रशासन को समुद्र में जलने वाले लैंटानम लैंप और एक तैरती हुई मार्गदर्शन प्रणाली सहित नवीन प्रौद्योगिकियां प्रस्तुत कीं जो सभी आगंतुकों को अत्यंत आकृष्ट किया।
अपने संबोधन में डॉ. सारस्वत ने भारत की विशाल तटरेखा और विशेष आर्थिक क्षेत्रों पर जोर दिया जो देश की नीली अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने 12.4 गीगावाट तरंग ऊर्जा सहित 54 गीगावाट समुद्री बिजली पैदा करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला और कहा कि 2023-2032 के दौरान इस क्षेत्र की अपेक्षित वृद्धि दर 22.8% होगी।
सेमिनार में तकनीकी सत्र, पैनल चर्चा और विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां शामिल की गई है जिनमें तरंग और पवन ऊर्जा उत्पादन, महासागरीय तापीय ऊर्जा तथा मानकीकरण और व्यावसायीकरण भी शामिल है।