नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर बहस में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में तीन महापुरुषों के वक्तव्यों का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा- भारत का लोकतंत्र और अतीत बहुत ही समृद्ध रहा है। विश्व के लिए बहुत प्रेरक रहा है। इसीलिए भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। मैं तीन महापुरुषों के कोट इस सदन के सामने पेश करना चाहता हूं। राजर्षि टंडन जी, उन्होंने कहा था कि सदियों के बाद हमारे देश में एक बार फिर ऐसी बैठक बुलाई गई है। यह हमारे मन में हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है। जब हम स्वतंत्र हुआ करते थे, जब सभाएं आयोजित की जाती थीं, जब विद्वान लोग चर्चा के लिए मिला करते थे।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में आगे कहा कि, मैं दूसरा कोट पढ़ रहा हूं राधाकृष्णन जी का, उन्होंने कहा था कि इस देश के लिए गमतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। यह इतिहास की शुरूआत से ही है। पीएम ने कहा- तीसरा कोट मैं बाबासाहेब आंबेडकर का कह रहा हूं ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों को पता नहीं है कि लोकतंत्र कैसा होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।पीएम मोदी ने आगे कहा कि- हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार है। हमारे संविधान के निर्माण में इस देश के बड़े दिग्गज रहे हैं। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व था। सभी भारत की एकता के लिए बहुत संवेदनशील थे।
बाबासाहेब आंबेडकर जी ने चेताया था कि समस्या यह है कि देश में जो विविधता से भरा जनमानस है, उसे किस तरह एकमत किया जाए। कैसे देश के लोगों को एक साथ होकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे देश में एकता की भावना पैदा हो। मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के बाद विकृत मानसिकता के कारण अगर सबसे बड़ा प्रहार हुआ है तो वह संविधान के मूलभाव पर प्रहार हुआ है। इस देश की प्रगति विविधता में एकता जश्न मनाने में रही है। लेकिन गुलामी की मानसिकता में पैदा हुए लोग, जिनके लिए हिंदुस्तान 1947 में ही पैदा हुआ, वह विविधता में एकता को जश्न मनाने के बजाय, उसमें इस तरह जहर बोते रहे कि उससे चोट पहुंचे।