- नई तैनाती मेरठ प्रभार डिप्टी पद पर हुई, लखनऊ की चाहत रखने वालों की भागदौड़ शुरू
- विभागीय मंत्री से लेकर सत्ता-शासन और सचिवालय तक जोर-आजमाइश आरंभ
- सीएम कार्यालय से लगेगी आखिरी मुहर, आधा दर्जन नामों की दबे जुबां चर्चा
लखनऊ। राजधानी के कैसरबाग तहसील क्षेत्र स्थित आबकारी विभाग के तहत कार्यरत जिला आबकारी अधिकारी लखनऊ का पद बुधवार को औपचारिक तौर पर खाली हो गया। गौर हो कि यहां अब तक डीईओ लखनऊ पद पर कार्यरत रहे राकेश कुमार सिंह की प्रोन्नति उप आबकारी आयुक्त पद पर हो गई थी और अब बुधवार को उनका मेरठ प्रभार के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर पद पर तत्काल तैनाती के आदेश भी शासन द्वारा जारी कर दिये गये हैं। ऐसे में लखनऊ डीईओ का पद अब एक तरह से रिक्त हो चुका है। विदित हो कि राकेश कुमार सिंह इससे पूर्व गाजियाबाद, प्रयागराज, नोएडा, महाराजगंज आदि प्रमुख जनपदों में सफलतापूर्वक जिला आबकारी पद पर कार्य कर चुके हैं।
बहरहाल, बता दें कि लखनऊ डीईओ पद का इसलिये भी प्रदेश के अन्य जनपदों के डीईओ पदों से इसलिये भी काफी अहम माना जाता है क्योंकि यहां पर चुनौतियां तो हैं, मगर कई तरह के अवसर भी रहते हैं। यही नहीं यहां पर मदिरा दुकानों की संख्या भी ठीकठाक है, मदिरा शौकीन भी बड़ी संख्या में हैं और ऐसे में आबकारी राजस्व भी ठीकठाक प्राप्त होता है। जबकि विभाग के अंदरखाने में चल रही चर्चाओं की माने तो लखनऊ डीईओ पोस्टिंग पद के पीछे कहीं न कहीं और कुछ न कुछ पारिवारिक तो कुछ विभागीय कारण होते हैं। नतीजतन, अन्य जिलों का तकरीबन हर डीईओ यही चाहता है कि पूरे विभागीय कार्यकाल में कम से कम एक बार उसकी तैनाती लखनऊ में हो जाये। वैसे सत्ता-शासन से जुडेÞ जानकारों की माने तो अबकी बार भी लखनऊ डीईओ पद पर तैनाती यूपी के पश्चिमी क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले किसी विभागीय अधिकारी की ही होगी, ऐसे में पूरब पर पश्चिम में तैनात रहने वाले विभागीय अधिकारियों का पलड़ा भारी रहेगा। बीते दो बार से देखें तो मौजूदा डीईओ राकेश कुमार सिंह गाजियाबाद से लखनऊ आये थे। इससे पूर्व सुशील कुमार मिश्र बदायूं जनपद से लखनऊ डीईओ पद पर तैनात हुए थे, वैसे वर्तमान में वो प्रयागराज पद पर जिला आबकारी अधिकारी पद पर तैनात हैं।
हालांकि लखनऊ डीईओ के रेस में आधा दर्जन से अधिक अन्य जनपदों के जिला आबकारी अधिकारी इस पर तैनाती को लेकर विभागीय मंत्री, प्रमुख सचिव आबकारी, आबकारी आयुक्त से लेकर सत्ता-शासन और सचिवालय के चक्कर लगा रहें। वहीं विभागीय जानकारों की माने तो चूंकि लखनऊ डीईओ का पद काफी महत्वपूर्ण होता है, ऐसे में अभी कोई ट्रांसफर सीजन भी नहीं चल रहा है तो हर हाल में उसी अधिकारी के नाम पर आखिरी मुहर लगेगी जिस पर सीएम कार्यालय अंतिम फैसला लेगा।