नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि आरोपित को जांच के दौरान मिले दस्तावेजों और बयानों की प्रति पाने का हक है, लेकिन ईडी की ओर से अभियोजन शिकायत के दाखिल होने के बाद आरोपित को उन्हें छोड़ना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपित को जानने का हक है कि किन दस्तावेजों पर अभियोजन की ओर से भरोसा नहीं किया गया ताकि वो बचाव की बारी आने पर उन दस्तावेजों की मांग कर सके।
अगर कोई आरोपित ऐसे दस्तावेजों की मांग करे तो ट्रायल कोर्ट को उस अर्जी को मंजूर करने में उदार रवैया अपनाना चाहिए और विशेष परिस्थितियों में ही इसे खारिज करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपित को स्वतंत्र ट्रायल का मौलिक अधिकार है। आरोपित को दस्तावेजों और गवाहों को परीक्षण करने का पूरा अधिकार है।