- स्वर्णिम भारत ज्ञानकुम्भ में आध्यात्मिक रहस्यों सहित मनाया गया बसंत पंचमी
- 5 फरवरी को ‘आध्यात्मिकता का योगदान’ विषय पर सम्मेलन
महाकुम्भ नगर। मां सरस्वती को ब्रह्मा की बेटी कहा जाता है। परमात्मा ने ब्रह्मा मुख से जो गीता ज्ञान दिया है उसके आधार पर ही सतयुगी संसार की स्थापना होनी है। मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने परमात्मा के इस गीता ज्ञान को अपने में सम्पूर्ण रूप से धारण किया तथा ज्ञान की देवी बन गई। जब हमारे अंतः चक्षु अर्थात् ज्ञान के नेत्र खुल जाते हैं तब हमसे भूलकर भी भूलें नहीं होंगी। हमारी दिव्य बुद्धि जागृत हो जाती है, यही सच्चा जागरण है।
उक्त बातें मेला क्षेत्र में बसंत पंचमी के अवसर पर ब्रह्मावत्सों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज प्रयागराज की प्रभारी मनोरमा दीदी ने कही। उन्होंने सरस्वती मां की वीणा के सात तारों का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि आत्मा में सात गुण निहीत हैं। सुख, शान्ति, आनन्द, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति आत्मा के मूल गुण हैं। जब हम इन गुणों के सागर परमात्मा से अपना सम्बन्ध जोड़ते हैं तब हम इनके स्वरूप बन जाते हैं।
इस दौरान मां सरस्वती के निमित्त परमात्मा को भोग स्वीकार कराया गया व सभी को दीदी ने तिलक दिया।
उल्लेखनीय है कि, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा सेक्टर 7, बजरंगदास मार्ग पर स्वर्णिम भारत ज्ञान कुम्भ मेले का आयोजन किया गया है। मेले का अवलोकन करने प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन पहुंच रहे। विदेशी यात्री भी रूचि के साथ प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे हैं।
इस अवसर पर मनोरमा दीदी ने बताया कि स्वर्णिम भारत के निर्माण में ‘आध्यात्मिकता का योगदान’ विषय पर 5 फरवरी दोपहर 3 बजे, स्वर्णिम भारत ज्ञान कुम्भ के प्रांगण में संत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें संत-महात्माओं एवं प्रबुद्धजनों के विचार सुनने को मिलेंगे।