कुम्भनगर। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला महाकुम्भ का आरम्भ 13 जनवरी से होने जा रहा है। इस पुण्यदायी मौके पर महाराणा प्रताप की पुण्यधरा उदयपुर से मेले में शामिल होने वाले नारायण सेवा संस्थान द्वारा विभिन्न सेवा के प्रकल्प संचालित किए जाएंगे। मेले में दिव्यांगों के लिए निःशुल्क कृत्रिम अंग व कैलिपर्स कार्यशाला चलेगी तथा कृत्रिम अंगों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसके अलावा निःशुल्क भंडारा एवं वस्त्रों का वितरण भी होगा।
नारायण खालसा अन्नपूर्णा मार्ग सेक्टर 18 में संस्थान निदेशक एवं ट्रस्टी देवेंद्र चौबीसा ने पत्रकारों को बताया कि मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुम्भ मेले में नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगों को कृत्रिम अंग, कैलीपर्स की सेवाएं दी जाएंगी। मोबाइल, कम्प्यूटर, सिलाई प्रशिक्षण और ऑपरेशन के इच्छुक दिव्यांगों को उदयपुर मुख्यालय भेजा जाएगा। संस्थान द्वारा कुम्भ के श्रद्धालुओं, संतों और संस्थान सदस्यों के लिए निःशुल्क भंडारे की व्यवस्था कर रहा है। संस्थान की कृत्रिम अंग कार्यशाला से महाकुम्भ में ही मॉड्युलर नारायण लिंब निःशुल्क प्राप्त कर अपनी रुकी हुई जिंदगी को पुनः गति प्रदान करेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि नारायण खालसा के निर्वाणी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर साधु कैलाश दास महाराज की प्रेरणा से महाकुम्भ में संस्थान शामिल हो रहा है। कैलाश दास महाराज के शिष्य और सुपुत्र सेवक प्रशांत भैया की मौजूदगी में निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अखाड़े के पूजनीय संत-महंतों के सानिध्य में 12 जनवरी को प्रातः 10 बजे वैदिक मंत्रों और हनुमानजी महाराज के आह्वान के साथ पताका पूजन समारोह होगा। इसके बाद भंडारे की सेवा और दिव्यांगजन हितार्थ सभी सेवाएं शुरू हो जाएंगी।
संस्थान सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक भगवान प्रसाद गौड़ ने कहा कि संस्थान द्वारा दिव्यांग सशक्तीकरण थीम पर प्रतीक रूप में 11 दिव्यांगों को संगम तट पर ले जाकर पुण्यदायी कुम्भ में डुबकी लगाई जाएगी तथा उनका सम्मान किया जाएगा। नारायण सेवा के ट्रस्टी देवेंद्र चौबीसा और जनसंपर्क निदेशक ने दिव्यांग सशक्तीकरण महाकुम्भ सेवाओं का पोस्टर जारी किया। इस दौरान संस्थान के अनिल आचार्य, रोहित तिवारी और अरुण ब्राह्मण मौजूद रहे।
हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति में इस दुर्लभ अवसर पर भोजन, वस्त्र और अन्नदान का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है ’जो बांटोगे वही पाओगे’ तथा महाकुम्भ के दौरान दान करने से हजार गुना होकर फलीभूत होता है। इसीलिए नारायण खालसा द्वारा भंडारे के अलावा सर्दी की ठिठुरन से बचने के लिए वस्त्र कम्बल, मफलर, टोपा, मोजे और जूते जरूरतमंदों को बांटे जाएंगे।